tag:blogger.com,1999:blog-18449440.post7459895184947444525..comments2024-02-21T21:44:01.379+05:30Comments on आइए हाथ उठाएँ हम भी: कामयाब ग़ज़ललाल्टूhttp://www.blogger.com/profile/04044830641998471974noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-18449440.post-48816050328120349192009-01-10T15:39:00.000+05:302009-01-10T15:39:00.000+05:30गाड़ीवालों के आगे हैसियत कुछ हो औरों कीज्यादा नहीं...गाड़ीवालों के आगे हैसियत कुछ हो औरों की<BR/>ज्यादा नहीं बेधड़क चलने की औकात चाहिए<BR/><BR/><BR/>अच्छी गजल है. <BR/>मै आज तक नहीं समझ पाया कि गजल लिख्नने मे बुराई क्या है?प्रदीप कांतhttps://www.blogger.com/profile/09173096601282107637noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18449440.post-73283816281336377612009-01-01T06:04:00.000+05:302009-01-01T06:04:00.000+05:30क्या मस्त काम कर रहे हो लाल्टू जी बस मजा आ गया , म...क्या मस्त काम कर रहे हो लाल्टू जी बस मजा आ गया , मत फिकर करना की काफिला बन रहा है की नही ,ये तो वक्त ही बताएगा....<BR/> क्यों तलब हो हमें राह में हमराह की <BR/> काफिले बनते नही है राह में गुमराह की ......Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18449440.post-36713889359314148942008-09-02T10:24:00.000+05:302008-09-02T10:24:00.000+05:30मेरा पसंदीदा शेरमामूली इस जद्दोजहद में कल शामिल हु...मेरा पसंदीदा शेर<BR/>मामूली इस जद्दोजहद में कल शामिल हुआ<BR/>यह कि शहर में शहर से हालात चाहिए<BR/><BR/>यह वाकई कमाल है। आइरनी और अंडरस्टेटमेंट का बहुत ही ख़ूबसूरत नमूना।<BR/><BR/>और दूसरी कविता में ढम ढम ढढाम ढढाम की ध्वनि ... वाह वाहAshishhttps://www.blogger.com/profile/09019016808975565123noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18449440.post-26674350143465394732008-08-31T17:01:00.000+05:302008-08-31T17:01:00.000+05:30ज़रुरी नहीं कि हर जगह हो चीनी इंकलाबछोटी लड़ाइयाँ ...ज़रुरी नहीं कि हर जगह हो चीनी इंकलाब<BR/>छोटी लड़ाइयाँ भी हैं लड़नी यह जज़्बात चाहिए।<BR/>============<BR/><BR/>मानो हर इन्सान यही समझ पाता तो क्या बात होती ।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18449440.post-77314582020749888062008-08-31T00:53:00.000+05:302008-08-31T00:53:00.000+05:30कामयाब ग़ज़ल ..लाजवाब है .. और यह अगर कभी कभी आने वा...कामयाब ग़ज़ल ..लाजवाब है .. और यह अगर कभी कभी आने वाली सनक का परिणाम है तो यह सनक अक्सर आनी चाहेये... इस ग़ज़ल ने मुझे अपने एक दोस्त की याद दिला दी जो आप की ही तरह . आसपास की चीजो को एक सोच की साथ अक्ष्सरो में लिख कर हम सब तक लाता था .. अब उसकी शादी हो गयी है ..तो अब लिख नहीं पता .. हाँ भाभी जी को सुनते सुनते अब मेरी गन्दी ग़ज़ल भी सुन पता है .. आप के साथ कभी शेयर करूंगा उसकी कुछ उन्दा रचनाएँ ..<BR/>जो दूसरी ग़ज़ल आपने लिखीं, वो आपको औरो से अलग करती हैं.. लिखते रहेयेगा ...GopalJoshihttps://www.blogger.com/profile/00454771495465456054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18449440.post-29045591013318300602008-08-30T20:04:00.000+05:302008-08-30T20:04:00.000+05:30लाल्टू जी ग़ज़ल तो बेहतरीन है ही, आप का टिम्बकटूँ ...लाल्टू जी ग़ज़ल तो बेहतरीन है ही, आप का टिम्बकटूँ उस से भी जानदार है। सीधा प्रहार करता है। बधाई!<BR/>मगर यो वर्ड वेरीफिकेशन तो हटा लो जी। दो बार फेल हो ग्यो।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18449440.post-61062806604044935242008-08-30T18:05:00.000+05:302008-08-30T18:05:00.000+05:30अच्छी ग़ज़ल है लिखते रहिये ..अच्छी ग़ज़ल है लिखते रहिये ..Anwar Qureshihttps://www.blogger.com/profile/04281359999900189306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18449440.post-54293109371155138002008-08-30T17:49:00.000+05:302008-08-30T17:49:00.000+05:30गाड़ीवालों के आगे हैसियत कुछ हो औरों कीज्यादा नहीं...गाड़ीवालों के आगे हैसियत कुछ हो औरों की<BR/>ज्यादा नहीं बेधड़क चलने की औकात चाहिए<BR/>bahut khoob..pallavi trivedihttps://www.blogger.com/profile/13303235514780334791noreply@blogger.com