tag:blogger.com,1999:blog-18449440.post455983443705720611..comments2024-02-21T21:44:01.379+05:30Comments on आइए हाथ उठाएँ हम भी: समय बीतता हैलाल्टूhttp://www.blogger.com/profile/04044830641998471974noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-18449440.post-24270597360784101962013-07-30T22:07:40.550+05:302013-07-30T22:07:40.550+05:30देश कागज पर बना
नक्शा नहीं होता
कि एक हिस्से के फट...देश कागज पर बना<br />नक्शा नहीं होता<br />कि एक हिस्से के फट जाने पर<br />बाकी हिस्से उसी तरह साबुत बने रहें<br />और नदियां , पर्वत,शहर,गांव<br />वैसे ही अपनी-अपनी जगह दिखें<br />अनमने रहें<br />_________________________<br /><br /><br />सत्ता का मानना तो यही है कि देश काग़ज़ पर बना नक्शा ही इसीलिये कागज़ी बातें होती हैं <br /><br />बस प्रदीप कांतhttps://www.blogger.com/profile/09173096601282107637noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18449440.post-49834337232914351752013-07-29T22:28:30.424+05:302013-07-29T22:28:30.424+05:30हूं. जिक्र की कवनो फिल्म का साथ नहीं रहा. शर्मिला...हूं. जिक्र की कवनो फिल्म का साथ नहीं रहा. शर्मिला और ओबेद के जाने का अफ़सोस है. azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18449440.post-75625788146249507132013-07-29T12:11:41.928+05:302013-07-29T12:11:41.928+05:30नज़र मारे हैं, फिर तसल्ली से लौटकर बांचेंगे. नज़र मारे हैं, फिर तसल्ली से लौटकर बांचेंगे. azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.com