tag:blogger.com,1999:blog-18449440.post114985718227704978..comments2024-02-21T21:44:01.379+05:30Comments on आइए हाथ उठाएँ हम भी: बकौल फुर्सतिया क्या कल्लोगे भाईलाल्टूhttp://www.blogger.com/profile/04044830641998471974noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-18449440.post-1151503119012522952006-06-28T19:28:00.000+05:302006-06-28T19:28:00.000+05:30Are Laltu da,Gajab likhen hain....uppercaste mind ...Are Laltu da,<BR/><BR/>Gajab likhen hain....uppercaste mind set to aise fatave jaare karen , to kya ashacharya ? yadi nahi to ....kuchh baat palle padi hai , aur kuchh padegi....ya padane ki sambhavana to hai....panjab univ, abhi kuchh nahi badala....<BR/>ek bar phir badhai ek achhe samvad ke liye, aarakshan par !Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18449440.post-1151168577464878942006-06-24T22:32:00.000+05:302006-06-24T22:32:00.000+05:30फतवा मुबारक हो लाल्टू भाई। बचाव या प्रत्याघात का...फतवा मुबारक हो लाल्टू भाई। बचाव या प्रत्याघात का अपन का कोई इरादा नहीं क्योंकि सच कहूँ तो मैने पूरा आख्यान पढ़ा ही नहीं।मसिजीवीhttps://www.blogger.com/profile/07021246043298418662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18449440.post-1150147055907395522006-06-13T02:47:00.000+05:302006-06-13T02:47:00.000+05:30अंजान भाई, न मैं तुम्हारा तेजप्रताप हूँ, न तुम्हार...अंजान भाई, न मैं तुम्हारा तेजप्रताप हूँ, न तुम्हारा देश मेरे लायक है. पर मैं व्यस्त ज़रुर हूँ. इसलिए अगली शेम पर मेरा जवाब नहीं मिलेगा. वैसे चेतन! शेम शेम शायद तुम्हारी टिप्पणी की वजह से है, परिचय से तुम्हारा मतलब यही था न?<BR/>अब देखो, अंजान शेम शेम कह रहा है और लोग मुझे बचाने दौड़ पड़ेंगे. मैंने कहा था न किस बात का क्या अर्थ निकले........लाल्टूhttps://www.blogger.com/profile/04044830641998471974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18449440.post-1150143990109560712006-06-13T01:56:00.000+05:302006-06-13T01:56:00.000+05:30तो आप ही हैं जो तेजप्रताप के नाम से भडकाऊ कमेंट डा...तो आप ही हैं जो तेजप्रताप के नाम से भडकाऊ कमेंट डालते फिरते हैं, शर्म है मुझे कि मेरे देश में आप जैसा व्यक्ति प्रोफेसर या वैज्ञानिक है। कभी अकेले में बैठ आत्मचिंतन करें कि क्या आप इसके लायक हैं। क्या सिखाते होंगे बच्चों को आप जब आप खुद ऐसी भ्रमित विचारधारा रखते हैं। "शेम शेम"।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18449440.post-1150106818145589542006-06-12T15:36:00.000+05:302006-06-12T15:36:00.000+05:30लाल्टू, हिमांशु ने तो 'कर लिया'! ('परिचय' याद है?)...लाल्टू, हिमांशु ने तो 'कर लिया'! ('परिचय' याद है?)<BR/><BR/>अब आप क्या करोगे, भाई?Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18449440.post-1150070671629799142006-06-12T05:34:00.000+05:302006-06-12T05:34:00.000+05:30"ऐसी फिल्मों में सबसे अद्भुत बात मुझे लगती है कि प..."ऐसी फिल्मों में सबसे अद्भुत बात मुझे लगती है कि पश्चिमी मुल्कों के साफ स्वच्छ वातावरणों से आए लोग हमारे मैले कुचैले अस्वस्थ बच्चों को चाहे कैमरा के लिए ही सही, प्यार से गले कैसे लगा लेते हैं."<BR/><BR/>अरे यार,ये पक्का BBC वाले होंगे. हे हे ...उन लोगों की तो आदत है यह सब दया दिखाने की. उनको तो बस टीवी पर धर्मात्मा बनने की आदत है. लल्लूओं को बोलते सुन कान में आग लग जाती है, पता नहीं कितना जीभ मोङ कर, इठला कर बोलते हैं.<BR/><BR/>अरे यार...कोई इन्हे जापान भेजो.इन्हे भी तो थोङी "गरीबी" का अनुभव होना चाहिये. अधिकांश अंग्रेज जो यहाँ आकर कूदते रहते हैं, वहाँ पर अपने लिये एक घर तक खरीदने की औकात नहीं रखते हैं. <BR/><BR/>पर वहाँ उनको वह "मजा" कहाँ आयेगा, जो भारत में मिलता है. वह राजा जैसा अनुभव उनको भारत के अलावा और कहाँ मिलेगा. <BR/><BR/>हर किसी का बाप होता है. अपने से नीचे लोगों को देखने के बजाय, उन लोगों को अपने से ऊपर लोगों को देखन चाहिये.<BR/><BR/>"हमारे मैले कुचैले अस्वस्थ बच्चों को चाहे कैमरा के लिए ही सही, प्यार से गले कैसे लगा लेते हैं."<BR/><BR/>भईया, ये बच्चे आपको गरीब लगते हैं ? जरा फिर से सोचिये. <BR/><BR/>एकबार मेरी एक भिखारी से बात हुई. मैने पूछा, तुम कोई नौकरी क्यों नहीं कर लेते, 2.5 - 3 हजार की नौकरी तो मिल ही जायेगी. उसका जवाब था, "इतने पैसे में गुजारा कैसे होगा ?" <BR/><BR/>उस भिखारी के अनुसार वह आसानी से महीने में 7-10 हजार भीख मांग कर कमा लेता है, तो उसे काम करने की क्या जरूरत ? जैसे ही ट्रेन रुकी, ये महात्मा जी भाग कर कुछ अंग्रेजों के पास भीख मांगने चले गये. और अंग्रेज लोग बङे मजे से उस भिखारी को पैसा देते हुए अपनी अपने फोटो खिचवा रहे थे.<BR/><BR/>और इधर मैं, शर्म से पानी पानी हो रहा था ... <BR/><BR/>अब बोलिये, एक आदमी के कारण पूरे देश की छवी खराब हुई की नहीं ? इस आदमी को जीने का भी हक है ? <BR/><BR/>मेरे अनुसार तो, उसे मेहनत कर के 2-3 हजार कमाने वालों के हिस्से की हवा को सांस लेने का भी हक नहीं है. ऐसे लोगों को चुन चुन कर आवारा कुत्ते की तरह मार देना चाहिये.<BR/><BR/>कभी कभी तो शर्म आती है अपने आप को भारतीय कहने में.<BR/><BR/>यह देश सच में भिखारियों का है. लोगों को हर चीज भीख में चाहिये. रोटी,कपङा, मकान, पढाई, नौकरी ....<BR/><BR/>"बालिका को बतलाया कि दुनिया की सबसे नीची जाति मेरी कास्ट है"<BR/><BR/>क्या आप को सच में लगता है की ऊपर आसमान में भगवान/अल्लाह/ईसा बैठे हुए हैं.<BR/><BR/>मेरे अनुसार धर्म किसी खेल के टीम से ज्यादा कुछ भी नहीं है. <BR/><BR/>जो मेरे धर्म में है, वह मेरे टीम में है, जो दूसरे धर्म से है, वह किसी दूसरी टीम से है. <BR/><BR/>"बालिका को बतलाया कि दुनिया की सबसे नीची जाति मेरी कास्ट है। वह शर्माई और बोली कि नहीं सर मैं सोची कि आप गिल होंगे"<BR/><BR/>अपने पद के अनुसार आपने बात ही ऐसी की थी की किसी को शर्म आयेगी. ऐसा कहने की बजाय, अगर आप अपना पूरा नाम बता देते तो किसी को बुरा नहीं लगता.<BR/><BR/>पर हिन्दु तो इतने टूटे हुए हैं की बस पूछो मत. इतने दिनों तक हम मूर्खों का अस्तिव बना रहा, यह बङे अचरज की बात है. उस मूर्ख डोडो की तरह ही हम समाप्त हो जायें तो बेहतर होगा...<BR/><BR/>यह कविता देखियेगा: <BR/><BR/>http://rajneesh-hindi.blogspot.com/2006/05/and-i-did-not-speak-out.htmlAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18449440.post-1149928762325366432006-06-10T14:09:00.000+05:302006-06-10T14:09:00.000+05:30न काटा न खून किया. लाखों का सिर मूँड़ लिया. आज अमीर...न काटा न खून किया. लाखों का सिर मूँड़ लिया. आज अमीर खुसरो ने यह पहेली लिखी होती तो अतुल की तस्वीर देखने के बाद जवाब होता – डिजिटल ग्राफिक्स. मूल पहेली का जवाब....लाल्टूhttps://www.blogger.com/profile/04044830641998471974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18449440.post-1149874293849130162006-06-09T23:01:00.000+05:302006-06-09T23:01:00.000+05:30यह तो समझ में आया कि जनता अपलिफ्टमेंट के लिये अनँत...यह तो समझ में आया कि जनता अपलिफ्टमेंट के लिये अनँत काल तक नही बैठी रहेगी। पर यह नही समझ पाया कि उन गरीबों को जो अस्सी किमी की गतिसीमा वाले स्वर्णिम चतु्र्भुज में अपनि साईकिल नही ले जा पा रहे थे, उनके अपलिफ्टमेंट का वादा करके आयी सरकार इस तरह के शार्टकट से अपलिफ्टमेंट करती रहेगी क्या? आखिर दीर्घकालिक उपाय क्या हैं?Atul Arorahttps://www.blogger.com/profile/00089994381073710523noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18449440.post-1149871627270017622006-06-09T22:17:00.000+05:302006-06-09T22:17:00.000+05:30ठीक है।ठीक है।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.com