tag:blogger.com,1999:blog-18449440.post113800665822080752..comments2024-02-21T21:44:01.379+05:30Comments on आइए हाथ उठाएँ हम भी: जस्ट लाइक अ ट्री स्टैंडिंग बाई द वाटरलाल्टूhttp://www.blogger.com/profile/04044830641998471974noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-18449440.post-1138083223327382572006-01-24T11:43:00.000+05:302006-01-24T11:43:00.000+05:30भाई प्रतीक,मेरी गलती है और मैं क्षमा माँग रहा हूँ।...भाई प्रतीक,<BR/>मेरी गलती है और मैं क्षमा माँग रहा हूँ।<BR/>हम सबको कोशिश करनी चाहिए कि हम सहृदयता के साथ एक दूसरे के साथ बात करें और विचारों का आदान-प्रदान करें। गलती बतलाने के लिए धन्यवाद।लाल्टूhttps://www.blogger.com/profile/04044830641998471974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18449440.post-1138082945869418202006-01-24T11:39:00.000+05:302006-01-24T11:39:00.000+05:30'देखिए कितने प्रबुद्ध लोगों को यह सब लिख कर आपने आ...'देखिए कितने प्रबुद्ध लोगों को यह सब लिख कर आपने आकर्षित किया :-)'<BR/>मसिजीवी जी के ब्लॉग पर आपकी टिप्पणी पढ़ी। आप जैसे बुद्धिजीवी द्वारा हम निर्बुद्धि लोगों का मज़ाक उड़ाने के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।Pratik Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/02460951237076464140noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18449440.post-1138036213032505652006-01-23T22:40:00.000+05:302006-01-23T22:40:00.000+05:30भई आपकी कलम के तो हम पहले से ही मुरीद रहे हैं इस प...भई आपकी कलम के तो हम पहले से ही मुरीद रहे हैं इस पोस्ट ने हमारी राय को और स्थापित ही किया है- यह अलहदा बात है कि शिल्प व वस्तु को बॉंट कर देखने वाले इस प्रशंसा को भी रूप की प्रशंसा भर देख सकते हैं जो है सो है- सबसे पहले कुछ स्वीकरोक्तियॉं पहले तो कमेंट जो मिले उनसे मैं भी विचलित ही हुआ इसलिए बात को वहॉं ज्यादा नहीं खींचा। दूसरा 'लाल' पर व्यंग्य की मंशा थी पर फैशनवश नहीं। कारण है कि अपन की स्मृति में लाल के लालों ने हाल किए हैं वे दो ही विकल्प छोड़ते हैं या तो उनमें शामिल हो पाखंडमार्गी बनें या फिर उनकी ऑंखों की किरकिरी बनें। दूसरे रास्ते का एक अन्य जोखिम ये भी है कि कुछ लोग इसमें विघ्वंसी संकेत भी पढ़ लेते हैं। खैर आप जारी रहें।मसिजीवीhttps://www.blogger.com/profile/07021246043298418662noreply@blogger.com