tag:blogger.com,1999:blog-18449440.post113743470291479929..comments2024-02-21T21:44:01.379+05:30Comments on आइए हाथ उठाएँ हम भी: खबरलाल्टूhttp://www.blogger.com/profile/04044830641998471974noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-18449440.post-1137592545974425712006-01-18T19:25:00.000+05:302006-01-18T19:25:00.000+05:30सरकार जनविरोधी है। हुम्म्म्म्म्म हॉं शायद। मै...सरकार जनविरोधी है। हुम्म्म्म्म्म हॉं शायद। मैं कॉलिज में पढ़ाता हूँ पैसा सरकार से आता है और इस बार की तनख्वाह से तो दो हजार अपनी मारूति की मरम्मत की अय्याशी में खर्च किए। मैं जनविरोधी अय्याश हूँ। ............ सरलीकृत तर्कश्रंखला की फूहड़ता के लिए माफी पर क्या उनके बाकी पुरस्कार केवल जनसमर्थक नीतियों वाली संस्थाओं से ही ग्रहण किए हैं ?मसिजीवीhttps://www.blogger.com/profile/07021246043298418662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18449440.post-1137471821375094202006-01-17T09:53:00.000+05:302006-01-17T09:53:00.000+05:30कविता, बहुत खूब !अरुन्धती राय की गॉड ओफ..., झूम्पा...कविता, बहुत खूब !<BR/>अरुन्धती राय की गॉड ओफ..., झूम्पा लाहिडी की इंतेर्प्रेतर ओफ.., सल्मान रश्दी की ग्राईमस और शेम पसंद आई. विक्रम सेठ की इक्वल मुसीक..मज़ा नहीं आया.शांता रामा राव की बहुत पहले पढी, तब अच्छी लगी थी.<BR/>एक किताब है इन्नर कोर्टयार्ड..महिला लेखकों की कहानियाँ, कुछ अनुवाद भी हैं (शायद 'इंडियन इंग्लिश' के परिभाषा में शत प्रतिशत न आये)ये बहुत अच्छी लगी. और भी कई किताब और लेखक याद आ रहे हैं, पर फिर कभी.<BR/><BR/>प्रत्यक्षाPratyakshahttps://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18449440.post-1137451207009426532006-01-17T04:10:00.000+05:302006-01-17T04:10:00.000+05:30मुझे झुम्पा लाहिडी की 'द नेमसेक' बहुत पसंद आई थी। ...मुझे झुम्पा लाहिडी की 'द नेमसेक' बहुत पसंद आई थी। बहुत ज़्यादा ऐसी किताबें नहीं पढ़ी हैं मैने पर 'द गाड आफ़ स्माल थिंग्स' अच्छी लगी थी, बहुत अच्छी नहीं। रोहिंटन मिस्त्री की'अ फ़ाइन बैलेन्स' के बारे में बहुत सुना है, पढ़ने का मन बनाया है, देखते हैं।Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी https://www.blogger.com/profile/13192804315253355418noreply@blogger.com